घर-घर में बिजली पहुँचाने के प्रधानमंत्री के संकल्प को पूरा करना एक चुनौती है

वर्ष 2019 तक घर-घर में बिजली पहुँचाने के प्रधानमंत्री के संकल्प को पूरा करना एक चुनौती है जिसे पूरा करने के लिये नवीकरणीय ऊर्जा सबसे महत्त्वपूर्ण विकल्प है। भारत की विद्युतीकरण योजना का मुख्य साधन है सौर ऊर्जा और इसमें 10 से 500 किलोवाट की क्षमता वाली मिनी ग्रिड महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। मिनी ग्रिड नवीकरणीय ऊर्जा की सम्भावनाओं का उपयोग करती है और बिजली की माँग को पूरा करती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इनकी काफी माँग है।

आज भी ग्रामीण भारत के लगभग 30 करोड़ लोग ऊर्जा के लिये सदियों पुराने तरीकों जैसे कि मिट्टी का तेल, डीजल या लकड़ी से जलाए जाने वाले चूल्हों आदि का प्रयोग कर रहे हैं। सौर ऊर्जा न केवल इस वृहद अवसंरचनात्मक कमी को पूरा करने का एक अवसर प्रदान करती है बल्कि सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरण और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का भी साधन है। पिछले चार वर्षों में सौर संयंत्रों की स्थापना की कीमतों में आई 70 प्रतिशत तक कमी ने निजी कम्पनियों और उद्यमियों को आकर्षित किया है और यह वास्तव में अन्धेरे में जी रहे लाखों लोगों के जीवन में रोशनी की किरण लेकर आई है।

सौर ऊर्जा की विकेन्द्रित एवं मॉड्यूलर प्रकृति का होने के कारण, इसे विभिन्न ग्रामीण उपयोगों के लिये स्थापित करना सरल है जिसका प्रभाव ग्रामीण लोगों की उत्पादकता, सुरक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा, पेयजल उपलब्धता और जीवनशैली पर होगा। सौर ऊर्जा का एक महत्त्वपूर्ण उपयोग है- एग्री पम्प जिसमें भारतीय किसानों की उत्पादकता काफी बढ़ाने की सम्भावनाएँ हैं। भारत में लगे लगभग 2.6 करोड़ एग्री पम्प में से लगभग एक करोड़ पम्प डीजल से चलते हैं जबकि सौर एग्री पम्प सस्ते और पर्यावरण मित्र होते हैं। भारत के गाँवों में स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता भी एक चुनौती है। जल को उपचारित करने के लिये भी बिजली की जरूरत होती है। सौर ऊर्जा का उपयोग इस क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण है। जैसे कि कोहिमा के निकट एक-एक गाँव में सौर ऊर्जा चालित जल उपचार संयंत्र लगाया गया है जो उन्नत मेम्ब्रेन फिल्टेरेशन पद्धति पर काम करता है और पीने के लिये शुद्ध पानी उपलब्ध कराता है।

सौर ऊर्जा के उपयोग से न केवल ग्रामीण रोजगार के अवसर बढ़ाए जा सकते हैं बल्कि इंटरनेट और टेलीविजन के जरिए सौर-ऊर्जा आधारित स्वास्थ्य सुरक्षा केन्द्रों, सौर चालित टेबलेट, जैसे कि एडजिला द्वारा विकसित टैबलेट जिसने कर्नाटक में शिक्षा के परिदृश्य को ही बदल दिया और सौर टेलीकॉम टॉवर्स तक पहुँच बनाई जा सकती है और ऊर्जा की आपूर्ति की कमी के कारण बन्द पड़े 150,000 टेलीकॉम टॉवर्स को चालू करना भी सम्भव होगा। दूसरी और सौर संयंत्रों को लगाने और उसके बाद उनकी देखरेख के लिये बड़ी संख्या में युवाओं की आवश्यकता होगा। इस प्रकार यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि ऊर्जा का यह वैकल्पिक स्रोत, सामाजिक और आर्थिक रूप से गाँवों के नक्शे को ही बदल देगा। केन्द्र के दिशा-निर्देशों पर राज्यों द्वारा की गई इस पहल में निजी क्षेत्रों को भी भागीदारी निभानी होगी। जैन इरीगेशन, टाटा सोलर, ग्रीनलाइट प्लेनेट जैसी कम्पनियाँ गाँवों में सौर ऊर्जा के विकास के लिये आगे आई हैं।