प्रगति पथ पर अग्रसर ग्रामीण भारत

9 अगस्त 2017 को माननीय प्रधानमंत्री जी ने वर्ष 2022 में 75वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाए जाने तक गरीबी उन्मूलन की बात कहीं थी। 'मिशन अन्त्योदय' का कार्यान्वयन इसी का परिणाम है। ग्रामीण विकास से तात्पर्य केवल लोगों के आर्थिक विकास से नहीं बल्कि विशाल सामाजिक परिवर्तन से है।

भारत के आर्थिक विकास के लिये भी ग्रामीण विकास सबसे जरूरी है। किसानों की समृद्धि और पंचायती राज को मजबूत बनाने और गरीबों एवं वंचितों के कल्याण, युवाओं को रोजगार और सभी को शिक्षा के उद्देश्य के साथ ही गाँवों का विकास सम्भव है। इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, गाँव के कमजोर वर्गों के लिये घर बनवाना, पीने के पानी की व्यवस्था करना, पानी की निकासी की सही व्यवस्था करना, गाँवों में बिजली उपलब्ध कराना एवं लोगों को जागरूक करना ग्रामीण विकास के ही पहलू हैं।

भारत मूल रूप से एक कृषि निर्भर देश है। भारत में सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का बहुत बड़ा योगदान होता है। कृषि की पैदावार बढ़ाने के लिये सरकार ने ग्रामीण विकास के लिये अनेक कार्यक्रम चलाए हैं। ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत में ग्रामीण क्षेत्र के लिये नीतियाँ बनाने और लागू करवाने वाला शीर्ष निकाय है। जिस देश की लगभग 70 प्रतिशत आबादी मिट्टी से जुड़ी हो, उस देश का विकास निश्चित रूप से मिट्टी से जुड़कर ही होगा।

ग्रामीण भारत में कृषि और पशुपालन से जुड़ी गतिविधियाँ आजिविका का प्रमुख साधन है। भारत सरकार के इस दिशा में किये जा रहे किसान हितकारी प्रयास अत्यन्त सराहनीय हैं। लेकिन आज पानी की कमी के चलते सूखी धरती खेती के लिये समस्या बनी हुई है। हाल ही में सरकार ने खेती से जुड़ी अनेक कृषि विकास योजनाओं की घोषणा की है जैसे प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, मृदा परीक्षण कार्ड, पशुपालन और मछली पालन, बूँद-बूँद सिंचाई के महत्त्व, नीम कोटेड यूरिया आदि। इतना ही नहीं किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी कैसे हो, इस पर भी विचार किया जा रहा है।

सरकार लम्बे समय से अधूरी पड़ी सिंचाई योजनाओं को पूरा करने को प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से सूखे की समस्या से निजात मिल जाएगी। 'हर खेत को पानी' पहुँचाने के लिये यह योजना शुरू की गई है। इतना ही नहीं, मनरेगा के तहत वर्षापोषित क्षेत्रों में पाँच लाख फार्म तालाबों और कुओं की व्यवस्था की जाएगी। प्र

धानमंत्री कृषि सिंचाई योजना को मिशन मोड में लागू किया जाना है और ज्यादा-से-ज्यादा खेतों को सिंचित क्षेत्र में लाया जाएगा। सिर्फ सिंचाई ही नहीं मृदा स्वास्थ्य कार्ड और मृदा स्वास्थ्य प्रबन्धन ऐसी स्कीमें हैं जिन पर सरकार विशेष ध्यान दे रही है। अच्छी फसल के लिये मिट्टी अच्छी होनी चाहिए। अगर मिट्टी की जाँच कराके, उसकी जरूरत के हिसाब से खाद डाली जाय तो खर्चा भी कम होगा और फसल भी अच्छी होगी। सरकार जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है। इससे जैविक कचरे का उपयोग खाद की तरह करने से खाद का खर्च भी बचेगा और जमीन भी ज्यादा उपजाऊ बनेगी और उपज ज्यादा पौष्टिक होगी।

सरकार ने अनेक किसान सेंटर खोले हैं, जहाँ से बहुत कुछ पता लगाया जा सकता है। वहाँ बहुत-सी फसलों के अच्छी किस्मों के बीज भी मिलते हैं। नई-नई किस्मों को महाराष्ट्र, गुजरात, केरल, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, बिहार, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के किसान अपने खेतों में उगाकर फसलों की अधिक पैदावार ले रहे हैं। जो किसान केवल खेती करते हैं, वो फसल खराब हो जाने पर या फिर मुनाफा कम होने पर टूट जाते हैं लेकिन अगर वो खेती के साथ पशुपालन भी करें तो पोषण का, आमदनी का साधन बना रहता है। भूखे मरने की नौबत नहीं आती है। केवल खेती पर निर्भर न रहकर साथ में मछलीपालन, मवेशी पालन जैसे खेती से सम्बद्ध कार्य करने चाहिए। सरकार ऐसे व्यवसायों को प्रोत्साहन देने हेतु व्यापक कदम उठा रही है। गोपशुओं की देशी नस्लों के विकास और संरक्षण के लिये राष्ट्रीय गोकुल मिशन परियोजना भी शुरू की गई है।

पशुपालन करने वालों के लिये भी बहुत-सी योजनाएँ हैं जैसे कि पशुधन संजीवनी, नकुल स्वास्थ्य पत्र, ई-पशुधन हाट। स्वास्थ्य पत्र से किसानों को अपने पशुओं के स्वास्थ्य का रिकॉर्ड रखने में आसानी होगा। इसकी मदद ये वो रिकॉर्ड रख पाएँगे कि उन्हें कब किस गाय या भैंस का टीका लगवाना है। इस पत्र में पशुओं की बीमारियों की भी जानकारी होगी।