प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

यह योजना इस सरकार की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। फसल बीमा सरकार की अब तक की सबसे बड़ी मदद है। अब सबको सब जगह एक-सी मदद। अब जिलेवार और फसलवार अलग-अलग बीमा नहीं होगा। अगर कोई किसान 30,000 की फसल उगाता है तो उसकी फसल का बीमा भी 30,000 का होगा और अगर कल को उसकी फसल खराब हो जाय तो उसे बीमे का पूरा पैसा मिलना चाहिए। लेकिन ऐसी होता नहीं था। सरकार अपना हिस्सा उसमें से काट लेती थी। अब फसल खराब होते ही बीमे की रकम का 25 फीसदी तो तुरन्त मिल जाएगा और बाकी का नुकसान का ठीक-ठीक पता लगाने के बाद मिलेगा। अब प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, बारिश से फसल को होने वाले नुकसान का पता ड्रोन और उपग्रहों के जरिए लगाय जाएगा। इससे बीमा योजना में मौजूद भ्रष्टाचार भी दूर होगा। उससे फसल को होने वाले नुकसान का बिल्कुल सही-सही पता चलेगा और बीमा कम्पनियाँ किसानों को गुमराह नहीं कर पाएँगी और किसानों को सही-सही मुआवजा मिलेगा।

राष्ट्रीय कृषि बाजार

किसानों की एक बड़ी समस्या यह है कि किसानों द्वारा उत्पादित काफी मात्रा में फलों एवं सब्जियों का या तो उचित मूल्य नहीं मिल पाता या फिर वे बाजार में नहीं पहुँचते। इससे किसानों को बहुत नुकसान उठाना पड़ता है। इसके लिये ई-नाम पोर्टल एक बहुत बड़ी सुविधा बनने वाला है। इस पोर्टल पर सारी मंडिया आएँगी। ई-नाम के इस पोर्टल को एक अखिल भारतीय व्यापार पोर्टल राष्ट्रीय कृषि बाजार और कृषि उत्पादों के लिये एक बाजार के रूप में डिजाइन किया गया, 14 अप्रैल, 2016 को 8 राज्यों की 21 मंडियाँ ई-नाम से जुड़ गई।

1 फरवरी, 2018 तक यह संख्या 479 मंडियों तक पहुँच गई जो कि 14 राज्यों और एक केन्द्र शासित प्रदेश में है। ई-नाम वेबसाइट अब 8 विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध है। जबकि अॉनलाइन व्यापार की सुविधा 6 भाषाओं में उपलब्ध है। अब किसाल मोल-भाव कर सकता है। सीधी-सी बात है-उत्तम फसल उत्तम ईनाम। किसानों की सुविधा के लिये कई मोबाइल एप भी उपलब्ध हैं। किसान सुविधा, पूसा कृषि, एग्री मार्केट और फसल बीमा कुछ प्रमुख एप हैं।