गाँवों में समस्या सिर्फ खेती की ही नहीं है बल्कि आवास की भी है जहाँ लोगों के पास आज भी रहने को पक्के घर नहीं हैं।

गाँवों में समस्या सिर्फ खेती की ही नहीं है बल्कि आवास की भी है जहाँ लोगों के पास आज भी रहने को पक्के घर नहीं हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 1985 में गाँवों में गरीबों को आवास प्रदान करने के उद्देश्य से इन्दिरा आवास योजना का आरम्भ किया था। इस आवास योजना के अन्तर्गत शौचालय एलपीजी, कनेक्शन, बिजली के कनेक्शन और पीने के पानी की सुविधाओं से युक्त घरों के साथ-साथ मैदानी भागों में रहने वालों को 70,000 रुपए और पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वालों को 75,000 रुपए की वित्तीय सहायता देने का भी प्रावधान था।

एनडीए सरकार ने 1 जून, 2015 में इस योजना का विस्तार प्रधानमंत्री आवास योजना के रूप में किया। इस आवास योजना के अन्तर्गत ग्रामीण एवं शहरी सभी बेघर गरीबों को 2022 तक घर प्रदान करने की योजना है। इसके अन्तर्गत तीन प्रकार के आवासों की व्यवस्था हैः आर्थिक रूप से पिछड़ा अर्थात ईडब्ल्यूएस वर्ग, निम्न आय वर्ग अर्थात एलआईजी और मध्य आय वर्ग यानी एमआईजी के आवास। इस योजना का मुख्य उद्देश्य स्लम में रहने वाले गरीब लोगों के लिये पर्यावरण-सह्य तकनीकों का प्रयोग कर सस्ते घर बनाना है। घरों के आवंटन के समय वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों का विशेष ध्यान रखा जाएगा। इस योजना को तीन प्रावस्थाओं में पूरा किया जाएगा।

आवास योजना को दो संघटकों-शहरी और ग्रामीण-में बाँटा गया है। ग्रामीण आवास योजना में मार्च 2019 के अन्त तक एक करोड़ नए घर बनाए जाने हैं जिनमें से 51 लाख घर मार्च 2018 तक बनाए जाने थे। सरकार ने ऐसा ही कुछ लक्ष्य शहरी आवासों के लिये भी रखा है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिये ग्रामीण विकास मंत्रालय, राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रहा है।